लोक कला-संगीत के लिए होगा अलग कॉलेज : मुख्यमंत्री भूपेश समीक्षा बैठक में दिए निर्देश : विशेष संरक्षित जनजातियों तक प्रचार के लिए कला पथकों को जिम्मा, There will be a separate college for folk art and music
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में लोक कला और लोक संगीत के अध्ययन के लिए तीन विशेष महाविद्यालय शुरू हो सकते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को इसकी कार्ययोजना पेश करने के निर्देश दिए हैं। यह महाविद्यालय, खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय की तर्ज पर ही विकसित किया जाना है। बैठक के दौरान इन बातो पर चर्चा की: पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों से प्रदेश की लोक कला और संगीत-नाट्य आदि को संरक्षित करने के उपायों पर चर्चा की। इस दौरान नई पीढ़ी में कला शिक्षा पर चर्चा हुई और मुख्यमंत्री ने लोक कलाओं-लोक संगीत आदि के लिए इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय जैसे संस्थान की जरूरत बताई। उन्होंने अधिकारियों से बस्तर, सरगुजा और रायपुर में ऐसे ही महाविद्यालय की कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
पर्यटन स्थल को विकसित करने के निर्देश: मुख्यमंत्री ने गंगरेल, खूंटाघाट और सतरेंगा डैम में वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियों को बढ़ावा देने और पर्यटकों के लिए सस्ते व सुविधाजनक होटल आदि की व्यवस्था बढ़ाने के निर्देश दिए। उनका कहना था, पुरातत्व और प्राकृतिक पर्यटन के केंद्रों पर सुविधाएं बढ़ाने से लोगों की आवाजाही बढ़ेगी। इसका फायदा स्थानीय लोगों को भी होगा। अधिकारियों ने बताया, सतरेंगा, गंगरेल और चित्रकोट में बजट होटल को सैद्धांतिक सहमति दी जा चुकी है। बैठक में गृह एवं पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, मुख्य सचिव अमिताभ जैन सहित वरिष्ठ विभागीय अधिकारी मौजूद रहे। रीवां के पुरातात्विक स्थल की ली जानकारी: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तरीघाट और रीवां के पुरातात्विक स्थलों की खुदाई की जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि रीवां में दो से ढाई हजार साल पुरानी मानव बस्ती के अवशेष मिले हैं। खनन के दौरान दूसरी से पांचवी शताब्दी तक की वस्तुएं भी मिल रही हैं।
भगवान राम की सौम्य छवि पर जोर: राम वन गमन पर्यटन परिपथ के कामकाज की भी समीक्षा की। उन्होंने परिपथ से जुड़े स्थानों का जीर्णोद्धार करने की योजनाओं पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा, पर्यटन परिपथ में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की सौम्य छवि की झलक दिखनी चाहिए।
विशेष संरक्षित जनजातियों तक प्रचार के लिए कला पथकों को जिम्मा: मुख्यमंत्री ने विशेष संरक्षित जनजातियों में स्वास्थ्य, शिक्षा से जुड़ी योजनाओं की जानकारी नहीं पहुंचने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, लोक कलाकारों के जरिए जनजातियों की बोली-भाषा में सरकारी योजनाओं का प्रचार पहुंचाएं। ऐसा होने से लोगों को आसानी से समझ में आएगा और वे उसका फायदा उठा पाएंगे।
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