बाबा धाम रायगढ़ : रायगढ़ केकी जीवन कहानी : Baba Dham Raigarh Chhattisgarh: रायगढ़ के तपस्वी बाबा का पूरा सच satnarayan baba ki jivaniya

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Satnarayan Baba Dham Raigarh Chhattisgarh: भारत देश पहले से ही संतो एवं महात्माओं का देश माना जाता आ रहा है, मना जाता है कि संत साधना भक्ती द्वारा ही मोक्ष प्राप्ती की कोशिश करते हैं। लेकिन वर्तमान में ऐसे बहुत ही कम योगी हैं जो सांसारिक सुख सुविधाओं को त्याग कर तप में लीन हो जाते हैं, इनमे से एक छत्तीसगढ़ के रायगढ़ (Raigarh) जिले के हठयोगी बाबा सत्यनारायण जी हैं। ये ना केवल लोगों के आस्था के ही प्रतीक है, बल्कि विज्ञान को भी चुनौती दे रहे हैं। रायगढ़ शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित कोसमनारा गांव ना केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे देश में हठयोगी की महत्ता से प्रसिद्ध हैं। उनके कठीन तपस्या को देखने दूर दूर से लोग यहां आते हैं। लोगों का यह मानना हैं कि कोई सा भी मौसम हो बाबा सत्यनारायण इसी तरह तप में लीन रहते है। बाबा सत्यनारायण जी को श्रद्धालु शिव भक्त मानते हैं, बाबा को मानने वालों की सूची भी काफी लंबी है।


Kaise Bana Ek Balak Tapasvi Baba Satyanarayan: लोगों के बताए अनुसार सत्यनारायण बाबा देवरी दुमरपाली नामक गांव के मूल निवासी हैं, जिनका जन्म कृषक मध्यमवर्गी परिवार में 12 जुलाई 1984 में हुआ था, पिता का नाम दयानिधी एवं उनके माता जी का नाम हंसमती है। दोनों ने अपने बेटे का नाम प्यार से हलधर रखा हुआ था,  पिता द्वारा उन्हें सत्यनारायण के नाम से बुलाया जाता था। 
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साथ ही लोगो का कहना है कि सत्यनारायण बचपन से ही भगवान शिव के भक्त थे, वे गांव में स्थित शिव मंदिर में 7 दिनों तक लगातर तपस्या करते रहे। 16 फरवरी 1998 को हलधर घर से स्कूल के लिए निकले एवं अपने गांव से करीब 18 किलोमीटर दूर  कोसमनारा नामक गांव में तप करने बैठ गए, इसी दिन से बाबा एक पत्थर को शिवलिंग मानकर अपनी जिह्वा को अर्पित कर शिव भक्ति के तपस्या में लीन हो गए। यहीं से उनके बाबा सत्यनारायण बनने की कहानी शुरू हुई। और उस दिन से लेकर आज तक बाबा उसी स्थान पर बैठकर तप में लीन हैं। एक सप्ताह बाद एक सेवक द्वारा शिवलिंग के पास बाबा की अनुमती से धुनि प्रज्जावलित किया गया। उस स्थान पर तब से लेकर आज तक अखंड धूनी भी जल रही है, पहले बाबा जमीन पर बैठ कर ही तप कर रहे थे, लेकिन भक्तों के द्वारा चबुतरा बनाया गया तथा भक्तो के आग्रह पर बाबा अब उसी चबुतरा में ही बैठ कर तप में लीन रहते है। प्रारंभ में बाबा की तपस्या को लोगों द्वारा नहीं स्वीकारा गया। बाबा को उनके साधना से हटाने का भी प्रयास प्रशासन के साथ ही कई लोगों ने किया। पंरतु बाबा की तपस्या को देखकर श्रद्घालुओं भीड़ लगातार बढ़ती गई एवं बाबा की 24 घंटे देखरेख होने लगी। वर्तमान में बाबा की ख्याति चारों ओर फैली हुई है।

विज्ञान को दे रहे चुनौती - डॉ शुक्ला के अनुसार: आर्थो सर्जन डॉ. सुरेन्द्र शुक्ला का यह कहना है कि लंबे समय तक एक ही स्थान पर एवं एक ही मुद्रा में इस तरह बैठे रहना साधारण व्यक्ति के लिए काफी खतरनाक हो सकता है, जिससे कई तरह की सिकायते आ सकती हैं, इन्हें लोगों द्वारा हठयोग भी कहा जाता हैं परन्तु जानकारों की मानें तो यह विज्ञान के लिए भी एक चुनौती है, क्योकि एक ही निश्चित स्थान पर बैठे रहना एवं कुछ समय के लिए ही उठना और फिर वापस बैठ जाना, संयमित भोजन के साथ ही हर मौसम में कुछ ही कपड़ों में रहना विज्ञान को भी चुनौती देने जैसा हैं।

बाबा सत्यनारायण से जुड़ी मान्यता: लोगों की यह भी मान्यता है कि बाबा सत्यनारायण किसी से भी बात नहीं करते, जरूरत के मुताबिक ही वो भी इशारों से ही समझाते हैं। हर मौसम में धूप, बारिश, ठंडी में भी बाबा खुले आसमान के नीचे ही बैठे रहते हैं, मुकेश शर्मा जो की वाहा के स्थानीय निवासी है उनका यह कहना है कि लोग सत्यनारायण बाबा को एक अवतारी पुरुष भी मानते हैं। यहां प्रतिवर्ष लाखों लोग बाबा के दर्शन हेतु आया करते हैं। सावन हो या महाशिवरात्रि यहां पर भक्तों का भारी भीड़ साल भर लगा रहता है।

बाबा सत्यनारायण जी को श्री 108 की मिली उपाधि: श्रद्घालुओ के बताए अनुसार बाबा की ख्याति सुनकर असम के कामाख्या से 108 मौनी कलाहारी बाबा भी कोसमनारा गांव पहुंचे एवं बाबा की तपस्या से प्रभावित होते हुए 2 से 8 अप्रैल 2003 तक 108 सतचण्डी महायज्ञ का अयोजन किए। बाबा सत्यनारायण जी को इस दौरान "श्री 108" की उपाधि भी दिए एवम अपने धाम चले गए। तब से लेक आज तक प्रतिवर्ष उनके अनुयायी यहां बाबा से मिलने आते हैं।
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Kya Baba Satyanarayan Kuchh Bhi Nahi Khate: हमने बाबा धाम के बारे में काफी पड़ताल किया जिससे हमे पता चला कि वास्तव में बाबा सत्यनारायण जी एक महान तपस्वी है। वे बचपन से ही संसारिक मोह माया को त्याग कर भगवान की भक्ति में तप कर रहे है। बाबा धाम जाकर हमे पता चला कि बाबा दूध एवं फलाहार का सेवन करते है यानी लोगो का यह दावा की बाबा कुछ नही खाते, पीते यह एक अफवाह मात्रा है। लेकिन बाबा हमेशा हर मौसम में ऐसी खुले आसमान के नीचे तपस्या करते रहते है। लोगो के बताए अनुसार वे बाहरी जानकारी भी रखते है बाबा जी को ipad  एवं Mobile चलाते भी देखा गया है, बाबा ने खुद ही इसके बारे में मीडिया से इंसारो में बात किया एवं पूरी जानकारी मुहैया भी कराया।

कुछ सवाल आपसे पूछे जा सकते है आइये हम इनके जवाब जाने :
1. सवाल: सत्यनारायण बाबा कौन है ?
जवाब:  सत्यनारायण बाबा हठयोगी बाबा है 

2. सवाल:  सत्यनारायण बाबा धाम कहा स्थित है ?
जवाब: सत्यनारायण बाबा धाम रायगढ़ में स्थित है 

3. सवाल: गढ़ कलेवा खुलने और बंद होने को टाइमिंग क्या है ?
जवाब:  गढ़ कलेवा सुबह 9 बजे से रात्रि 9 बजे तक हफ्तों के सतो दिन आपके सेवा में कार्यरत है |

4. सवाल: सत्यनारायण बाबा का जन्म कब और कहा हुआ ?
जवाब: स्थानीय लोगों के अनुसार सत्यनारायण बाबा देवरी डूमरपाली नामक गांव के मूल निवासी हैं, जिनका 12 जुलाई 1984 में हुआ था 

5. सवाल: सत्यनारायण बाबा कितने वर्ष की आयु में तप पे लीन हो गये ?
जवाब: सत्यनारायण बाबा लगभग 13 वर्ष की आयु में तप में लीन हो गए 

6. सवाल: सत्यनारायण बाबा कोसमनारा नामक गांव में तप करने कब बैठे ?
जवाब: सत्यनारायण बाबा 16 फरवरी 1998 को कोसमनारा नामक गांव में तप करने बैठे

7. सवाल: सत्यनारायण बाबा कुछ खाते पिते है या नही ?
जवाब: सत्यनारायण बाबा दूध एवं फल का सेवन करते है 

सत्यनारायण बाबा धाम रायगढ़ कैसे पहुंचे :
सड़क मार्ग:- सत्यनारायण बाबा धाम रायगढ़ तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क आपको आसानी से मिल जायेगी जहा आप अपने वाहनों के माध्यम से पहुंच सकते हैं। सत्यनारायण बाबा धाम रायगढ़ के कोसमनारा नामक गांव में स्थित है 

रेल मार्ग:- सत्यनारायण बाबा धाम से सबसे निकतम रेलवे स्टेशन है, रायगढ़ रेलवे स्टेशन जिसकी दुरी लगभग 3 किलोमीटर है 

हवाई मार्ग:- सत्यनारायण बाबा धाम से सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, बिलासपुर हवाई अड्डा है जिसकी दूरी लगभग 150 किलोमीटर है 

हमारी राय: अगर आप शिव भक्त हो व भगवान की भक्ति पसंद है तो आपको यहा जरुर जाना चाहिए एक बार नही बल्कि बार बार जाना चाहिए सावन में जाना चाहिए ज्यादा तर नही तो आपका मन करे तब जाये क्योकि यहाँ आपको अन्य जगह से कुछ अनोखा प्रतीत होगा




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