Aaiye jante hai Pandavani Geet kise kahte hai aur pandavani Geet kya hai??
Pandavani Geet and Pandavani Dance : पंडवानी एक छत्तीसगढ़ी लोक-गायन शैली है, जिसका अर्थ है पांडववाणी – अर्थात पांडवकथा है। इसमें महाकाव्य महाभारत के पांडवो की कथा सुनाई जाती है, जिसमे भीम मुख्य किरदार होता है। ये कथाएं छत्तीसगढ़ की परधान तथा देवार छत्तीसगढ़ की जातियों की गायन परंपरा है। परधान गोंड की एक उपजाति है और देवार धुमन्तू जाति है। इन दोनों जातियों की बोली, वाद्यों में अन्तर है। परधान जाति के कथा वाचक या वाचिका के हाथ में “किंकनी” होता है और देवारों के हाथों में र्रूंझू होता है।आज के संदर्भ में पंडवानी ख्याती दिलाने का श्रेय सुप्रसिद्ध कलाकार तीजन बाई को जाता है।
गायन शैलियाँ :
कापालिक शैली: कापालिक शैली जो गायक गायिका के स्मृति में या “कपाल”में विद्यमान है। कापालिक शैली की विख्यात गायिक है तीजनबाई, शांतिबाई चेलकने, उषा बाई बारले।
वेदमती शैली: वेदमती शैली के गायक गायिक वीरासन मुद्रा पर बैठकर पंडवानी गायन करते है। वेदमती शैली का आधार है खड़ी भाषा में सबलसिंह चौहान के महाभारत, जो पद्यरुप में हैं। श्री झाडूराम देवांगन, जिसके बारे में निरंजन महावर का वक्तव्य है “महाभारत के शांति पर्व को प्रस्तुत करनेवाले निसंदेह वे सर्वश्रेष्ठ कलाकार है।” एवं पुनाराम निषाद तथा पंचूराम रेवाराम पुरुष कलाकारों में है जो वेदमती शैली के अपनाये है। महिला कलाकारों में है लक्ष्मी बाई एवं अन्य कलाकर।
कलाकार: तीजनबाई, खुबलाल यादव, जेना बाई, ॠतु वर्मा, रामाधार सिन्हा, लक्ष्मी साहू, फूल सिंह साहू, प्रभा यादव, सोमे शास्री, पुनिया बाई
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