अब छत्तीसगढ़ में हर शनिवार बैगलेस-डे:स्कूलों में नहीं ले जाना होगा बस्ता; योग, पीटी, खेलकूद और संगीत-नाटक-कहानी में बीतेगा पूरा दिन, Bagless Day in Chhattisgarh School



Bagless Day in Chhattisgarh School: छत्तीसगढ़ के स्कूलों में शनिवार मतलब बैगलेस-डे हो गया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके व्यापक निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक अब सप्ताह के प्रत्येक शनिवार को बच्चों को बस्ता लेकर स्कूल नहीं जाना होगा। स्कूल में उनका पूरा दिन योग, पीटी, खेलकूद, संगीत-नाटक-कहानी और ऐसी ही अन्य गतिविधियों में बीतेगा। अधिकारियों का कहना है, स्कूली शिक्षा को रोचक, व्यावहारिक और अपने आस-पास के माहौल से जोड़ने के लिए यह कोशिश शुरू की जा रही है।

जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि बैगलेस-डे के दिन स्कूलों में अलग-अलग समय निर्धारित कर योग-व्यायाम, एक दूसरे से सीखना, समूह अधिगम, खेल और पुस्तकालय, समूह कार्यक्रम, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधि होंगी। कक्षा पहली से 8वीं तक के स्कूलों में व्यायाम, योग, क्रीड़ा प्रतियोगिता, साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियां, मूल्य-शिक्षा, कला-शिक्षा, पुस्तकों के अतिरिक्त पुस्तकालय एवं अन्य पठन सामग्रियों का उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।

मुस्कान पुस्तकालयों को बच्चे पढ़ें। विद्यार्थियों की पढ़ी गई पुस्तक पर शिक्षकों और समूह के साथ चर्चा की जाए। स्थानीय खेल का आयोजन संस्था में उपलब्ध संसाधन के अनुसार किया जाए। साहित्यिक गतिविधि में छत्तीसगढ़ की विभूतियों, भारतीय संविधान, संविधान की प्रस्तावना, शारीरिक शिक्षा और नैतिक शिक्षा आदि को शामिल किया गया हैं। कहानी-कथन के अलावा, वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, तात्कालीक भाषण, प्रश्नमंच, समूह परिचर्चा भी इसमें शामिल है। निबंध, कविता, कहानी, संवाद लेखन, और चार्ट निर्माण की प्रतियोगिता आयोजित करने को कहा गया है।

कृषि, पर्यावरण और विज्ञान पर भी जोर: निर्देशों में कहा गया है, शनिवार को कृषि, जल, पर्यावरण, ऊर्जा संरक्षण, पशु संरक्षण एवं संवर्धन पर परिचर्चा आयोजित की जाए। गणित क्लब, विज्ञान क्लब, अंग्रेजी क्लब आदि की गतिविधियों का आयोजन किया जाए। इन पर आधारित प्रतियोगिता हो। मॉडलों का निर्माण एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया जाए। बच्चों को प्रत्येक स्तर के लिए विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के संदर्भ में जागृत और प्रेरित किया जाए। बच्चों को मार्गदर्शन देने के लिए कैरियर एंड काउंसिलिंग के सत्र आयोजित किया जाएं।

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लोक कलाकारों को भी स्कूल में आमंत्रित करने की योजना: कहा गया है, सांस्कृतिक गतिविधियों के तहत रंगोली, मेहंदी, पुष्प सज्जा, ग्रीटिंग कार्ड बनाना सिखाया जाए। लोग गीत, लोक नृत्य, लोक कथा, नाटक-मंचन, अभिनय, एकल अभिनय, देशभक्ति गीत, गायन-वादन की गतिविधि की जा सकती है। बच्चों को लोक कला-संस्कृति से जुड़े स्थानीय कलाकारों से परिचित कराएं। उनकी प्रस्तुति भी हो। स्कूलों में बाल संसद और बाल मेला का आयोजन भी किया जाए।

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बच्चों को विभिन्न पेशों-नौकरियों की जानकारी भी देनी है: स्कूल शिक्षा विभाग ने बैगलेस-डे का उपयोग बच्चों के कॅरियर गाइडेंस के लिए करने का भी मॉडल बनाया है। कहा गया है कि शनिवार को स्थानीय कलाकारों, शिल्पकारों, उद्यमियों, विभिन्न विभागों में कार्यरत नौकरीपेशा व्यक्तियों को विद्यालय में बुलाया जाए। उनसे बातचीत कर उनके कार्यों की जानकारी बच्चों को दें। इससे बच्चे हर तरह के काम और उसके लिए कैसे तैयारी करनी है वह जान पाएंगे। उन्हें प्रेरणा भी मिलेगी।

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बेहतर काम का प्रदर्शन स्कूल के बोर्ड पर होगा: स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राचार्यों और प्रधानपाठकों को अपने स्कूल के लिए माह के प्रत्येक शनिवार की गतिविधियों की पूर्वयोजना बनाने को कहा है। यह योजना स्कूल के सूचनापट पर प्रदर्शित किया जाएगा। शनिवार की विभिन्न गतिविधियों में विद्यार्थियों के बेहतर कार्यों को यहीं पर प्रदर्शित भी किया जाएगा। उदाहरण के लिए प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शकों के नाम का डिस्प्ले, विद्यार्थियों की ड्राइंग, पेंटिंग, निबंध आदि को यहीं प्रदर्शित किया जाएगा।

जाने कुछ अनोखी बाते: चंडी माता मंदिर जिला महासमुंद, विकासखंड बागबाहरा के घुंचपाली गाँव में स्थित है। जहाँ सिर्फ तांत्रिक और अघोरियों का बस आना-जाना हुआ करता था

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