बिलासपुर जिले से लगभग 25 किलोमीटर दूर रतनपुर में स्थित है खुटाघाट डैम जो की छत्तीसगढ़ के प्रमुख बांध की श्रेणी में आता है, इसका निर्माण आज से करीब 85 साल पहले अंग्रेज शासन काल का बताया जाता है। खुटाघाट एक बहुत ही पुराना दर्शनीय स्थल है, यहा साल में एक बार तिज के दिन मेले का आयोजन होता है जिसमें दूर दूर से लोग यहा आते है और हर साल यहा लोगो की भारी भीड़ उमड़ी रहती है। इन दिनों बारिश अधिक होने के चलते यह बांध पानी से पूरा भरा रहता है जिससे इसकी सुंदरता और भी अधिक बढ़ जाती है जो लोगो को और अधिक लुभाती और अपनी ओर खींचती है।
चापी डैम रतनपुर से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर पेंड्रा रोड में स्थित एक काफी अच्छी एवं प्राकृतिक जगह है, जो की एक जलाशय है। चापी जलाशय रतनपुर से लगे हुए एक गांव चपोरा में स्थित है जो एक बहुत ही अच्छी एवं खुबसुरत पर्यटन केन्द्र होने के साथ ही साथ एक पिकनिक स्पॉट भी है। बिलासपुर के आस पास के पिकनिक स्पॉट में यह बहुत ही अच्छी एवं मनमोहक स्थल है। जहां पर लोग पिकनिक के साथ ही प्रकृति के सुंदर दृश्य का अवलोकन करने आया करते है। यह रतनपुर के समीप स्थित दूसरी डैम है अर्थात् रतनपुर में दो जलाशय स्थित है। जिसमे से एक तो खुटाघाट डैम और एक चपोरा में स्थित यह चापी डैम। रतनपुर के करीब होने के कारण यहां आने वाले श्रद्धालु चापी डैम का अवलोकन करने आवश्य आया करते है।
नेचर कैम्प यानी की बोइर पड़ाव जिसे खोंद्रा के नाम से भी जाना जाता है, यह बिलासपुर जिले से लगभग 35 km. की दूरी पर स्थित है। जिसे नेचर कैंप boirpadav पर्यटक के नाम से जाना जाता है। यहां पर एक बहुत ही खूबसूरत जलप्रपात घने जंगल के बीच बनता है। जिसे देखने के उद्देश्य से दूर दूर से पर्यटक यहां पर भ्रमण करने आते हैं । यह जलप्रपात चारो ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है । पिकनिक मनाने के लिए यह बहुत ही अच्छी जगह है। जिसके कारण काफी दूर दूर से यहां पर लोग पिकनिक मनाने के लिए आया करते है। साथ ही यहां लोग अपने दोस्तो, फैमिली के साथ भी पिकनिक हेतु आया करते है।
छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर चाम्पा जिले के अकलतरा विकासखण्ड के ग्राम कोटमीसोनार में स्थित क्रोकोडाईल पार्क जो की मगरमच्छो के संरक्षण के उद्देश्य से बनाया गया हैं। यहां साइंस पार्क, ऑडीटोरियम, एनर्जी पार्क आदि बनाया गया हैं। इस संरक्षण केंद्र में 200 से भी अधिक मगरमच्छ हैं। राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा इस केंद्र को पर्यटन स्थलों में शामिल किया गया है। यहां आने वाले सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
रतनपुर एक धार्मिक एवं प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। जहां अनेकों मंदिर विराजमान है, यानी इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाए तो कोई अतिसंयोक्ति नही होगी। अगर आप एक ही दिन के भीतर में यहां के सभी मंदिरों का दर्शन करना चाहे तो पूरे एक दिन का समय भी कम पड़ जाएगा। रतनपुर को कल्चुरी वंश के शासन काल के समय में छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी भी घोषित किया गया था। उस समय यहाँ 1200 से भी अधिक तालाब हुआ करते थे। जिसके कारण ही इसे तालाबों का शहर भी कहा जाता है। हालांकि वर्तमान में इनकी संख्या कम होते होते महज 200 से 250 ही रह गई है । रतनपुर नगर में अनेक मंदिर है लेकिन यह विशेष रूप से मां महामाया देवी के मंदिर से विख्यात है।
जहाँ पर महामाया देवी की शक्तिपीठ मौजूद है। रतनपुर में श्रद्धालुवों की भीड़ तो साल भर बनी रहती है लेकिन नवरात्री के विषेश दिनों में यहा की भीड़ देखते ही बनती है, नवरात्रि के दिनों में यहा पर हजारों, लाखो श्रद्धालुवो की भीड़ उमड़ा रहता है। यहा नवरात्री के दिनों में घंटो तक लाइन में लगे रहते है, तब जाकर देवी मां के दर्शन कर पाते है, कभी कभी तो यहा पर इतनी अधिक भीड़ रहती है की लोगो का कतार गेट के बहर तक पहुच जाती है, यहां पर वैसे तो सालभर मेला लगा ही रहता है जैसा की चंदरपुर स्थित मां चंद्रहासिनी देवी के मंदिर में लगा रहता है, लेकिन नवरात्री के दिनों में यहां के मेले में भराव काफ़ी अधिक होता है।
ऐसा कहा जाता है की त्रिपुरी के कलचुरियों वंश की एक शाखा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर काफी लंबे समय तक छत्तीसगढ़ में शासन किया। राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा मणिपुर नामक गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाया गया था। साथ ही साथ श्री आदिशक्ति महामाया देवी मां की मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा 11वी शताब्दी में कराया गया था।
छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले से लगभग 25 किलोमीटर दूर व राजधानी रायपुर से लगभग 140 किलोमीटर दुर बिलासपुर से कटघोरा मार्ग में रतनपुर नगर में स्थित है राम टेकरी। जो की ऊंची पहाड़ के उपर बनी हुई है, जिसके चलते इसे राम टेकरी कहा जाता है। यहां पर भगवान श्री राम माता सीता के साथ विराजमान है। साथ ही ऐसी मान्यता है की यह मंदिर मराठाओ के शासन के समय में बनवाया गया था। राम टेकरी में भगवान श्री राम, सीता मैया एवं भगवान हनुमान जी की खुबसूरत ग्रेनाइट मूर्तिया विराजित है। यहां पहाड़ी पर राम जानकी मंदिर से अपने नाम से ही व्युत्पन्न है। यहा पर्यटक एवं श्रद्धालु हर शुभ अवसरों पर इकट्ठा हुआ करते है।
वैसे तो रतनपुर नामक यह नगर तालाबों के शहर के नाम से जाना जाता है ही लेकिन इसके साथ ही साथ रतनपुर मंदिरों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। यहां अनेक चमत्कारी तथा भव्य प्राचीन मंदिर स्थित है। रतनपुर नगर महामाया मंदिर के नाम से न केवल छत्तीसगढ़ में ही बल्कि सम्पूर्ण भारत वर्ष में प्रसिद्ध है, परंतु रतनपुर महामाया मंदिर के अलावा भी ऐसे अनेक मंदिर यहां स्थित है जिनमें से कई अद्भुत है एवं वहां पहुंचना भी आसान नहीं हैं। जिनमे से एक है मां लखनी देवी का मंदिर। यह मंदिर खास इसलिए भी है क्योंकि यह एक विशाल पहाड़ के ऊपर में बना हुआ है। साथ ही यह रतनपुर में स्थित पहाड़ों में सबसे अधिक ऊंची है। जिससे आप सीढ़ी के सहारे चढ़ सकते है
रतनपुर में ही स्थित है भैरव बाबा जी का मंदिर। जहां बाबा भैरव की विशाल प्रतिमा स्थपित है। जिनके दर्शन पाने दूर दूर से लोग यहां आते है। रतनपुर के महामाया मंदिर से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर कोरबा मुख्य मार्ग में स्थित है भैरव बाबा का मंदिर। महामाया मंदिर आने वाले श्रद्धालू भैरव बाबा जी के भी दर्शन पाने जरूर आते है।
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