छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक गणेश प्रतिमा से छेड़छाड़ : ढोलकल शिखर पर विराजे गणपति की सूंड पर खरोंच कर लिखा नाम, पहले भी किया गया था खंडित, Chhattisgarh's historic Ganesh idol tampered with



dholkal ganesh dantewada chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में करीब 3 हजार फीट की ऊंचाई पर ढोलकल शिखर पर स्थापित गणेश भगवान की मूर्ति के साथ असामाजिक तत्वों ने छेड़छाड़ की है। मूर्ति के सूंड में पत्थर से खरोंचकर अपना नाम लिखा है।

मूर्ति के साथ छेड़छाड़ करने वाले बदमाशों की पहचान नहीं हो पाई है। इधर, करीब 11वीं-12वीं शताब्दी से स्थापित इस ऐतिहासिक मूर्ति से छेड़छाड़ करने के बाद लोगों में भी काफी नाराजगी देखने को मिल रही है।

दरअसल, ढोलकल शिखर पर विराजे गणपति के दर्शन करने लोगों की भीड़ दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। घने जंगल और पहाड़ी रास्तों पर ट्रैकिंग कर यहां पहुंचा जाता है। इसलिए पर्यटन के लिहाज से यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए बेहद पसंदीदा हो गया है। यहां ट्रैकिंग के साथ ही भगवान के दर्शन करते हैं। ऐसे में इस सदियों पुरानी गणेश भगवान की मूर्ति के साथ दूसरी बार छेड़छाड़ की गई है।

कुछ साल पहले फेंक दिए थे मूर्ति: यह पहली बार नहीं है कि मूर्ति के साथ छोड़छाड़ हुई हो। कुछ साल पहले भी मूर्ति को असामाजिक तत्वों ने नीचे खाई में फेंक दिया था। हालांकि, मूर्ति को ढूंढने पूरा प्रशासन लगा था। पुलिस जवानों, ड्रोन कैमरे की मदद से मूर्ति के टुकड़ों को ढूंढा गया था। फिर, एक-एक कर मूर्ति को फिर से जोड़ा गया था। हालांकि, उस समय भी सूंड का अंतिम हिस्सा नहीं मिल पाया था। प्रशासन ने इस ऐतिहासिक मूर्ति को फिर से वहीं स्थापित किया था।

नहीं लगे CCTV कैमरे: करीब 3-4 साल पहले जब असामाजिक तत्वों ने मूर्ति को नीचे खाई में फेंक दिया था और प्रशासन ने जब मूर्ति को ढूंढ निकाला था, तो उसके बाद इस इलाके को संजोने के लिए कई तरह की योजना बनाई गई थी। प्रशासन ने ट्रैकिंग वाले रास्तों समेत मूर्ति पर फोकस कर खुफिया CCTV कैमरे लगाने की योजना बनाई थी। लेकिन आज तक इस पर किसी तरह की कोई पहल नहीं हुई। यही वजह है कि दूसरी बार असामाजिक तत्वों ने मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की है।

लोगों की है आस्था: इस शिखर में विराजे गणपति जी से लोगों की आस्था जुड़ी है। साथ ही कई किवदंतियां भी हैं। बताया जाता है कि भगवान परशुराम और गणेश जी का यहां युद्ध हुआ था। इसके बाद यहां एक दंत वाले गणेश जी की मूर्ति स्थापित की गई थी। हालांकि इसकी पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है। गांव के बुजुर्गों और पुरानी कहानी के अनुसार यह जानकारी सामने आई थी। वर्तमान में यहां हर साल ढोलकल महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। लोगों का मानना है कि गणेश जी क्षेत्र की रक्षा करते हैं।

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