बिलासपुर जिले के किसानों ने तेल के ऐसे पौधे की खेती जिसके एक लीटर तेल की कीमत करीब 11 हजार रुपए, इस पौधे की खेती कर किसानों ने कमा लिए 5 लाख रुपए, जानिए किस पौधे की राज्य में पहली बार हुई खेती, पढ़े पूरी खबर..!


बिलासपुर छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ राज्य में कई किसान आधुनिक खेती कर रहे हैं। ये ऐसे फल-फसलों की खेती कर रहे हैं जो इन्हें धान-दलहन की फसल से कई गुना ज्यादा मुनाफा देते हैं। जयरामनगर के लोकेश को ही देखिए उसने राज्य  में पहली बार जिरेनियम की खेती शुरू की तथा पहली बार में ही 5 लाख रुपए तक कमा लिए। इस सुगंधित पौधे का तेल करीब 11 हजार रुपए लीटर बिकता है। देश-विदेश में इसकी जबरदस्त मांग है। इससे इत्र, ब्यूटी प्रोडक्ट तथा दवाएं बनती हैं। अरोमा थैरेपी में भी इसका ही उपयोग होता है।


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छत्तीसगढ़ में पहली बार औषधीय तथा सुगंधित प्रजाति के जिरेनियम की खेती की जा रही है। बिलासपुर के जयरामनगर के किसान के द्वारा 80 हजार रुपए की लागत से इसकी खेती कर सालाना करीब 5 लाख रुपए तक कमाई की है। अब वह राज्य स्तरीय कृषि मेले में राज्य के अन्य किसानों को भी इसकी खेती कर मुनाफा कमाने के लिए प्रेरित कर रहे है। कृषि वैज्ञानिक भी उनकी खेती से प्रभावित हुए हैं।


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जयरामनगर निवासी लोकेश के द्वारा यह भी बताया गया कि जिरेनियम की खेती करना बहुत आसान है। एक बार इसे खेतों में लगाने के बाद तीन से चार महीने में कटाई की जाती है। एक पौधे से तीन से चार साल तक उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि राज्य में पहले दूसरे प्रजाति के सुगंधित एवं औषधीय पौधों की खेती होती रही है। दो साल तक स्टडी करने और जलवायु एवं वातावरण पर रिसर्च करने के बाद उन्होंने पहली बार इसकी व्यवसायिक खेती भी शुरू की।

लेमन ग्रास तथा पामारोजा की तरह कर सकते हैं रिफाइन : लोकेश बताते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य में लेमनग्रास, पामारोजा सहित अन्य तरह की सुगंधित तथा औषधीय वनस्पति का उत्पादन होता रहा है। उन्हें पता चला कि देश के दूसरे राज्यों में जिरेनियम की खेती होती है। इसे भी दूसरे औषधीय वनस्पति की तरह रिफाइन किया जा सकता है तथा उसके तेल को निकाला जाता है।


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सौंदर्य प्रसाधन से लेकर कॉस्मेटिक्स के रूप में भी होता है इसका उपयोग : लोकेश बताते हैं जिरेनियम एक सुगंधित पौधा है तथा इसके फूलों को गरीबों का गुलाब कहा जाता है। इसके तेल की आजकल बाजार में जबरदस्त मांग है। इसलिए किसान इसकी खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकता है। इस पौधे की पत्तियों, तने एवं फूलों से आसानी से तेल निकाला जा सकता है। इसका उपयोग देश के साथ दूसरे देशों में सौंदर्य प्रसाधन तथा कॉस्मेटिक्स उत्पाद में किया जाता है। आंकड़ों के अनुसार हर साल देश में 149 टन जिरेनियम की खपत होती है, लेकिन इसका उत्पादन सिर्फ 5 टन ही होता है

न जानवर खाता है तथा न ही कीड़ों का रहता है खतरा मेले में मौजूद कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक जिरेनियम औषधीय एवं सुगंधित वनस्पति है। इसकी विशेषता यह है कि न तो इसे जानवर खाता तथा नुकसान पहुंचाता है। इसके साथ ही इसमें कीड़े नहीं लगते। इसलिए इसमें कीटनाशक का उपयोग करने की जरूरत भी नहीं होती।


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80 हजार रुपए लागत करके, कमाई करीब 5 लाख : लोकेश ने बताया कि वह तीन एकड़ में जिरेनियम की खेती की है। एक एकड़ में जिरेनियम की खेती करने से मात्र 80 हजार रुपए खर्च आता है एवं साल भर में 6-7 गुना तक कमाई होती है। इसकी खासियत यह भी है कि तीन से चार महीने में इसकी कटाई होती है तथा पौधे की पत्तियां दोबारा उग जाती है। इस तरह से हर तीन-चार महीने में इसकी कटाई की जाती है एवं तीन से चार साल तक इसका उत्पादन होता है।

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डिप्टी डायरेक्टर भी बोले- किसानों के लिए बेहद फायदेमंद जिरेनियम की खेती : रायपुर के उद्यानिकी विभाग के नीरज शाह ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में दूसरे प्रजाति के औषधीय पौधों की खेती होती रही है, लेकिन, बिलासपुर में पहली बार एक किसान के द्वारा जिरेनियम की खेती की है। एक बार कटाई कर वे 10 लीटर तेल निकाल लेते हैं एवं 11 हजार रुपए कीमत में इसकी बिक्री होती है। इसकी खेती कर वे साल भर में 40 से 44 लीटर तेल निकाल रहे हैं। यह फसल किसानों के लिए काफी लाभदायक हो सकती है।

Source - Dainik Bhaskar 


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