Rajim mela 2022, शिवरात्रि पर कुलेश्वर महादेव की होगी विशेष पूजा : राजिम माघी पुन्नी मेले का कल समापन, CM भूपेश बघेल होंगे मुख्य अतिथि


Rajim mela 2022 : 1 मार्च शिवरात्रि के दिन राजिम में चल रहे माघी पुन्नी मेले का समापन होगा। 16 फरवरी से चल रहे इस मेले में शिवरात्रि के मौके पर नदी के बीचों-बीच बने मंदिर में विशेष पूजा होगी। शाम के वक्त यहां समापन संध्या का आयोजन होगा।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल होंगे।यहां प्रदेशभर से अलग-अलग आश्रमों और मठों के प्रमुख संत भी पहुंचेगे। स्थानीय कलाकार यहां अपने गीत-संगीत की प्रस्तुति देंगे।


कार्यक्रम में पहोचेंगे सभी कैबिनेट मंत्री: गरियाबंद जिला प्रशासन इसकी तैयारियों में जुट चुका है। मंदिर परिसर के पास ही पार्किंग का बंदोबस्त किया गया है। राजिम विधायक अमितेश शुक्ल ने बताया कि राजिम की इस पवित्र भूमि को छत्तीसगढ़ का प्रयाग के नाम से जाना जाता है। पुन्नी मेला सदियों से होता रहा है। वर्तमान सरकार ने 15 दिनों के लिए इस इलाके में शराब दुकानों को बंद किया है, जो ऐतिहासिक निर्णय है।


शिवरात्रि में स्नान का खास महत्व: माना जा रहा है प्रदेश के कई हिस्सों से हजारों लोग शिवरात्री की सुबह स्नान के लिए जुटेंगे। यहां देवालय दर्शन और घाटों में स्नान का महत्व है। मान्यता के अनुसार माघ पुन्नी के अवसर पर पुन्नी स्नान का विशेष महत्व है, इसलिए सोढुर, पैरी और महानदी के त्रिवेणी संगम में स्नान करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।


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राजिम के मेला स्थल पर राज्य शासन द्वारा विशेष इंतजाम: संगम स्थल पर पानी की व्यवस्था सहित संत निवास, आवागमन की सुविधा, पूरे मेला क्षेत्र की साफ सफाई की गई है। 14 दिन तक चलने वाले इस मेले में हर दिन संतों के प्रवचन भी हुए हैं। पूरे मेले स्थल में कानून व्यवस्था के लिए 500 के करीब पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। मेला स्थल पर पेयजल, शौचालय और पार्किंग की भी व्यवस्था की गई है। मुख्य मंदिर के पास भव्य और आकर्षक मंच बनाया गया है, जहां स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।


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छत्तीसगढ़ का प्रयाग: महानदी के तट पर स्थित राजिम छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इसे छत्तीसगढ़ का ’प्रयाग’ भी कहते हैं। यहां के प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर में भगवान विष्णु प्रतिष्ठित हैं। यहां पर माघ पूर्णिमा से लेकर शिवरात्रि तक एक विशाल मेला लगता है। यहां पर महानदी, पैरी नदी तथा सोंढुर नदी का संगम होने के कारण यह स्थान छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम कहलाता है।


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