बड़ी लापरवाही, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के अनारक्षित वर्ग के 45 अभ्यार्थी हुए बाहर, CGPSC REQUIREMENT

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ राज्य के तमाम कालोजों में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति को लेकर छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के द्वारा नियमों को ध्यान में रखते हुए आरक्षण लागू किया गया है। जिसके कारण विभिन्न् (अनेक) विषयों में अनारक्षित वर्ग के लगभग 45 अभ्यार्थी चयन प्रक्रिया से बाहर हो चुके हैं। इस मुद्दे (मामले) में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने "वनस्पति शास्त्र" विषय में सहायक प्राध्यापकों के नियुक्ति को लेकर कोर्ट के फैसले से बाधित किया हुआ है। इससे पहले भी कई विषयों पर (छत्तीसगढ़) हाई कोर्ट द्वारा इस तरह का आदेश जारी किया गया है।



छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित किए गए इस चयन प्रक्रिया से वंचित रहे "प्रवीण तिवारी" द्वारा अपने अधिवक्ता जिनका नाम वरूण शर्मा है, के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर किया है। जिसमें यह बताया गया है, कि इस चयन सूची को बनाते समय लोक सेवा आयोग के द्वारा मेरिट सूची में कई तरह की लापरवाही एवम् गलतियां बरती है, जिससे विभिन्न् विषयों के अनारक्षित वर्ग के योग्य अभ्यर्थियों को चयन की प्रक्रिया से ही बाहर होकर खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इस याचिका में यह भी बताया गया है , कि लोक सेवा आयोग के अधिकारियों को आरक्षण का नियम भी पता नही है। और यही कारण है कि उन्होंने हारिजेंटल, इंटरलाकिंग एवम् वर्टिकल आरक्षण में अंतर भी नहीं कर पाए। लोक सेवा आयोग के इन गलतियों के चलते अनारक्षित वर्ग के अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थी भी इस चयन सूची से बाहर हो गए है एवम् कम अंक पाने के बाद भी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित वर्ग में कर दिया गया है, यह आयोग के द्वारा बहुत ही बड़ी लापरवाही है।


दायर किए गए याचिका में यह भी स्पष्ट किया गया है कि लोक सेवा आयोग की इस गलती की वजह से विभिन्न् विषयों के 45 अनारक्षित वर्ग के अभ्यार्थी चयन सूची से बाहर हो गए। याचिका दायर करने वाले के अधिवक्ता ने आरक्षण नियमों को लेकर पूर्ण विस्तार से जानकारी दिया है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि आरक्षण के नियमो को मनमाने तरीके से प्रस्तुत करने का अधिकार आयोग के अधिकारियों के पास बिल्कुल भी नहीं है एवम आयोग के द्वारा किया गया यह कार्य असंवैधानिक है। जिसकी सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने वनस्पती शास्त्र विषय के सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति को कोर्ट के फैसले से बाधित किया गया है। इसके पहले भी अर्थशास्त्र विषय की नियुक्ति को लेकर भी हाई कोर्ट के द्वारा इसी तरह का आदेश जारी किया गया था।



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