मवेशियों की है कक्षाएं, केंद्रीय विवि गुरुघासीदास में मवेशियों का जमावड़ा रहता है


Bilaspur Dhirendra Sinha Column: धीरेंद्र सिन्हा, बिलासपुर नईदुनिया। न्यायधानी में मवेशियों की कक्षाएं लगती हैं? जी हां, सुनने में भले ही अजीब लग रहा है लेकिन यह सत्य है। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के अकादमिक शिक्षण संस्थान परिसर में प्रतिदिन रात्रिकालीन कक्षाएं लगती हैं। बड़ी संख्या में आसपास गांव के मवेशी यहां पहुंचते हैं। भले ही पढ़ाने को कोई शिक्षक उपस्थित नहीं रहते। ऐसे में मवेशी खुद ही जुगाली करते हुए रटते हैं। उनकी आवाज स्टाफ क्वार्टर तक पहुंचती है।

दरअसल सरकारी स्कूलों ने लंबी छलांग लगाते हुए प्राइवेट स्कूलों को पछाड़ दिया। जिले में 12वीं कक्षा की टापर भी सरकारी निकली। भ्रामक विज्ञापन के सहारे चलने वाले स्कूलों का दम अब निकल रहा है। क्योंकि नाम बड़े और दर्शन छोटे। अभिभावक अच्छी तरह समझ गए हैं कि 90 प्लस स्कोर में जिस तरह के आंकड़े सामने आई है वो वाकई चौंकाने वाला है। कोरोना कहीं एक साल और बैठ गया तो कई प्राइवेट स्कूलों में तालाबंदी हो जाएगी।

दीक्षा में अब धांधली नहीं : लाखों रुपये खर्च कर दीक्षा समारोह कराने वाले उच्च शिक्षण संस्थाओं में अब नकेल कसेगी। पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय ने प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है। आभासी दीक्षा समारोह का सफल आयोजन कर नई परंपरा को आगे बढ़ा दिया है। इसे कोई दूसरी संस्था नकार नहीं सकेगा। समारोह के नाम पर लूट मचाने वाले विश्वविद्यालयों को लिए तगड़ा झटका होगा। किसी प्रकार की धांधली या हेराफेरी आसान नहीं होगी।


समारोह में आठ हजार से अधिक लोगों के जुड़ने और तीन हजार नए सब्सक्राइबर मिलने के बाद मुक्त विवि के हौसले बुलंद हैं। हो भी क्यों न। सालभर की प्लानिंग और मेहनत का कमाल है। दो बार असफलता हाथ लगने के बाद भी प्रबंधन ने हार नहीं मानी। तभी तो राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री ने वचुर्अल उपस्थिति में तारीफों के कसीदे गढ़े। उपाधि और स्वर्ण पदक से सम्मानित होने वाले मेधावियों के चेहरे में भी रौनक थी।


कोरोना फिर बंद करेगा स्कूल: कोरोना की पहली और दूसरी लहर झेलने के बाद अब तीसरी लहर की चर्चा जोरों पर है। दहशत का आलम यह है कि अभिभावक कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाह रहे हैं। शासन के आदेश के बाद भले ही सरकारी स्कूलों में रौनक लौट गई है लेकिन, प्राइवेट स्कूलों में अब भी सन्न्ाटा पसरा हुआ है। 15 से 20 फीसद उपस्थिति है। नतीजा इन स्कूलों में आनलाइन कक्षाओं का आयोजन किया जा रहा हैं।

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