दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर प्रदेश की बेटी ने लहराया तिरंगा, किया अपने सपने को पूरा

छत्तीसगढ़ : बस्तर के एकटागुड़ा की रहने वाली नैना सिंह धाकड़ ने 1 जून को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह कर ली। ऐसा करने वाली वह छत्तीसगढ़ की पहली युवती हैं। काठमांडू से नैना ने दैनिक भास्कर से बात की और कहा कि उसका सपना पूरा हो गया। उसने एवरेस्ट से जगदलपुर कलेक्टर और छत्तीसगढ़ की जनता का शुक्रिया अदा किया।


नैना सिंह धाकड़


नैना सिंह धाकड़ की बाते -

साल 2011 में भूटान में आयोजित स्नोमैन ट्रेक में मैं भाग ले रही थी। यहां माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल से मिली और उनकी टीम में शामिल हुई। उनसे मिलने के बाद मैंने पर्वतारोहण को अपना लक्ष्य बनाया और माउंट एवरेस्ट फतह करने की कोशिश शुरू कर दी। माउंट एवरेस्ट फतह करने के लिए मैंने जगदलपुर से 1 अप्रैल को अपनी रवानगी ली। इसके बाद नेपाल में बने बेस कैंप में 18 अप्रैल को पहुंची, क्योंकि 3 मई को एवरेस्ट सम्मिट करना ही था। कठिन चढ़ाई और मौसमी चुनौतियों के कारण 13 मई को अभियान की शुरुआत करने की योजना तैयार की गई, लेकिन मौसम के बिगड़ने के कारण साथी पर्वतारोहियों ने बेस कैंप में लौटने का फैसला लिया। मैं आगे बढ़ती चली गई। जिला प्रशासन ने मुझे नया ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया करवाया था, जिसके कारण मैं आगे की चढ़ाई पूरी करने में कामयाब हो पाई।


तूफानों से टकराई -

इस बीच दस दिनों के अंतराल में दो बैक-टू-बैक चक्रवात ताऊ ते और यास भी आए और उसकी वजह से चढ़ाई करने में काफी मुश्किलें भी आईं। लगातार चढ़ाई करते हुए 23 मई को मैं विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट लोहोत्से, जिसकी ऊंचाई 8516 मीटर है, पर पहुंच गई और वहां पहुंचकर मैंने पहली जीत हासिल कर ली। इसके बाद साथी पर्वतारोहियों के साथ मैं माउंट एवरेस्ट फतह करने के लिए आगे बढ़ गई और 1 जून को सुबह ठीक 9 बजे इस चढ़ाई को भी मैंने पूरा कर लिया। जब हम माउंट लोहोत्से फतह कर चुके थे, उसके बाद अचानक मौसम फिर से बिगड़ गया तो हम माउंट लोहोत्से और माउंट एवरेस्ट के बीच ही रूक गए। इसके बाद नेपाल के मौसम विभाग ने 29 मई को मौसम खुलने की संभावना जताई, जिसके बाद मैंने दोबारा एवरेस्ट फतह करने के लिए आगे की चढ़ाई चढ़नी शुरू कर दी। इस बीच ऊंचाई ज्यादा होने के कारण थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन ऑक्सीजन सहित सारी चीजें साथ थीं, इसलिए इन परेशानियों को दूर करना आसान हो गया ।


याशी जैन को 8000 मीटर से वापस लौटना पड़ा -

नैना के साथ ही छत्तीसगढ़ की एक और बेटी याशी जैन भी एवरेस्ट फतह करने के इरादे से अप्रैल से काठमांडू में थीं। यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रस पर तिरंगा लहरा चुकी याशी 2 अप्रैल को एवरेस्ट सम्मिट के लिए बेस कैंप पहुंची थी। वह नैना से अलग 8 लोगों की दूसरी टीम में थी। 14 तारीख को वह 6000 मीटर की चोटी पर पहुंच गई। लेकिन मौसम बदला और उसे कैंप 3 में वापस लौटना पड़ा। कुछ दिन रुक कर उसने फिर चढ़ाई शुरू की। 26 मई को वह 8000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच गई। यहां उस दि्न इतना मौसम खराब हो गया, कि वापस नीचे आना पड़ा। याशी कहती हैं कि मौसम का साथ होता तो वह भी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर होती। उसने काठमांडू में नैना से मिलकर उसे बधाई दी।







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