Dalha Pahad (Sindurgiri pahad) : दल्हा या दलहा पहाड़ छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा नामक तहसील के दलहापोडी गांव में स्थित है जो धार्मिक मान्यताओं के कारण छत्तीसगढ़ राज्य के लोगो में अत्यंत ही प्रसिद्ध हैं। नाग पंचमी में मेला लगने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में कुछ नाम के ही स्थान हैं, जिसमे से एक यह दल्हा पहाड़ शामिल है, दलहा पहाड़ की ऊंचाई लगभग 700 मीटर अर्थात 13123 फीट मानी जाती है, जिसकी स्थानीय मान्यताएं काफ़ी अधिक है। सूर्यकुण्ड के साथ ही मुनी का आश्रम अत्यन्त प्रशिद्ध है। जहां पर सतनामी समाज के संस्थापक गुरु घासीदास ने दलहापोड़ी में ही अपना अंतिम उपदेश दिया था। इस पहाड़ की ऊपरी चोंटी पर पहुंचने एवं उपर से पहाड़ के चारों ओर का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं, विषेश रूप से महाशिवरात्रि एवं नाग पंचमी के दिन यहा लोगो की अधिक भीड़ होती हैं।
दलहा पहाड़ नागपंचमी (Nagpanchami Me Dalha Pahad) : नागपंचमी के अवसर पर दलहा में स्थित सूर्यकुण्ड की महिमा सबसे अधिक मानी जाती हैं, जिसका पानी पीने हजारों की संख्या में लोग पर्वतों, जंगलों एवं पत्थरों के रास्ते होते हुए पैदल आते है। इतने लम्बे रास्ते पैदल चलने के बाद लगभग 4 किलोमीटर की सीढ़ी भी चढ़नी पड़ती हैं। साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि नागपंचमी के ही दिन कुंड का पानी पीने से लोग स्वस्थ और तंदरुस्त रहते हैं। और लोगो की ऐसी मान्यता है कि किसी भी प्रकार की कोई भी बीमारी हो यहा के पानी पीने से ठीक हो जाती हैं। इसी आशा के साथ प्रतिवर्ष लाखों की तादात में श्रद्धालु यहा नागपंचमी के दिन कुंड का पानी पीने पैदल ही कई किलोमीटर की दुरी चलकर सभी यहा दल्हा बाबा के दर्शन के लिए आते है, इसके साथ ही इस दिन सूर्य कुंड में स्नान करने को बहुत ही शुभ माना जाता हैं, यहा पर अघ्न शुक्ल के दिन भी श्रधालुओ की भीड़ लगी होती है, इस दिन यहा हवन का भी आयोजन होता हैं तथा आश्रम परिसर में 100 मीटर से भी लम्बा झंडा फहराया जाता हैं, आश्रम की एक अचंभव करने वाली बात यह हैं कि यहा बाबा के बुलाने से लंगुर (बंदर) उनके पास आते हैं, जैसे ही बाबा उनको पुकारते हैं बंदर खाने के लिए दौड़ते हुए उनके पास पहुंच जाते हैं
मान्यताएं : दलहा पहाड़ से जुड़ी कई कहानियां एवं अलौकिक रहस्य प्रसिद्ध हैं, जानकारो का यह मानना हैं, कि दल्हा पहाड़ भूगार्भिक क्रिया अर्थात् ज्वालामूखी उद्गार से निर्मित हुई हैं, चुंकि जांजगीर चांपा क्षेत्र पथरीय इलाका हैं तथा यहा चुना-पत्थर भी भारी मात्रा में पाया जाता हैं यही कारण है कि दल्हा पहाड़ कि चट्टाने में भी चुना पत्थर ही विषेश रूप से पाई जाती हैं, इस पहाड़ के बारे में तथा लोगो कि यहा से जुड़ी हुई आस्थाओं एवं मान्यताओ के बारे में बात करें, तो यहां के लोगो का यह मानना हैं, दल्हागिरि अथवा सुन्दरगिरि के इस पहाड़ पर दल्हा बाबा विराजमान हैं, यहां आपको दल्हा पहाड़ के नीचे एवं चारो तरफ अनेक मंदिर भी देखने को मिलते हैं। जिसमें से अर्धनारेश्वर मंदिर ,श्री सिद्ध मुनि आश्रम , नाग-नागिन मंदिर, श्री कृष्ण मंदिर आदि काफी प्रसिद्ध मंदिर हैं, मंदिर के अंदर यहां दो कुंड देखने को मिलते है जिन्हे पवन कुंड एवं सुर्य कुंड के नाम से जाना जाता हैं, साथ ही यह भी माना जाता है कि दोनो ही कुंड बहुत ही पवित्र एवं चमत्कारी हैं, साथ ही ऐसी मान्यता भी है की इन कुंड का पानी साल भर वैसा का वैसा ही रहता हैं तथा कभी भी नहीं सुखता। लोगो की यह मान्यता हैं, कि इन कुंडो का पानी पीने से बड़ी से बड़ी बीमारी एवं दुख दर्द दुर हो जाते हैं।
दल्ला से जुड़ी रहस्यमयी बांते : दलहा पहाड़ में काफी सारी चमत्कारी चीजे हैं जिनका पता आज तक नहीं लगाया जा सका हैं। माना जाता है कि यहा पर गुरू घासीदास जी ने तपस्या किया था। एवं इसी दलहापोड़ी में अपना अंतिम उपदेश भी दिया था। पहाड़ कि चढ़ाई लगभग 4 किलोमीटर की हैं, इस पहाड़ के अलग-अलग हिस्सों में कुल 10 कुंड चारों तरफ होने की बात कही जाती हैं, जिनमे 8 का ही पता अब तक चल पाया है। बाकी दो कुंड कहां स्थित है, यह अब तक किसी को भी नहीं पता। इसके अलावा पहाड़ मे दो तालाब भी होने की बात कही जाती है, जिसमें से केवल एक ही तालाब दिखाई पड़ती हैं, दूसरा तालाब अद़श्य हो चुकी हैं, दल्हा पहाड़ में एक चमत्कारिक मंदिर भी होने की बात कही जाती हैं, जहां कोई भी नहीं पहुंच पाता, ऐसी मान्यता है की इस मंदिर का निर्माण एक ग्रामीण दम्पति द्वारा कराया गया था जिनके द्वारा मंदिर की देखरेख किया जाता था। उनके चले जाने के बाद मंदिर की देखभाल नहीं होने से जर्जर सा हो गया एवं अब मंदिर तक पहुंचने का रास्ता भी नहीं हैं, यहीं कारण है कि उस मंदिर तक पहुंचना वर्तमान में बहुत ही मुश्किल हैं।
दल्हा पहाड़ कैसे पहुंचे :
सड़क मार्ग:- दल्हा पहाड़ तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क आपको आसानी से मिल जायेगी जिससे आप अपने वाहनों के माध्यम से पहुंच सकते हैं। यह पहाड़ जांजगीर से लगभग 30 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।
रेल मार्ग:– दल्हा पहाड़ से सबसे निकतम रेलवे स्टेशन है, अकलतरा रेलवे स्टेशन जिसकी दुरी लगभग 20 किलोमीटर है ।
हवाई मार्ग:– दल्हा पहाड़ से सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, बिलासपुर हवाई अड्डा है जिसकी दूरी लगभग 50 किलोमीटर है।
हमारी राय : अगर आप पहाड़ो के शौकीन है आपको उचे उचे पहाडो में चढ़ना व उसकी शिखर से उसके आसपास के वातावरण को देखना पसंद है, तो दल्हा पहाड़ आपके लिए है। आप यकीन मानिये यह पहाड़ आपको एक रोमांचक एहसास के साथ वादियों की सुंदरता के चलते आपके मन को मोह लेगी। यहा आपको अनेक रहस्यमई चीज़े देखने को मिलेगी, इसकी ऊंचाई इतनी अधिक है कि इसके शिखर पर पहुंच कर आप आसपास के क्षेत्रो की सुंदरता को निहार सकते है। हम मानते है कि इसकी ऊपरी चोंटी तक पहुंचने के लिए कोई विषेश मार्ग नहीं बना हुआ है जिससे यहा तक पहुंचना थोड़ा दुर्लभ है, लेकिन यहा पहुंचा जा सकता है। यह आसपास के पहाड़ियों में सबसे ऊंची है यहीं इसकी खास बात भी है । यहां आप अगर नागपंचमी को आते है तो आपको और भी अच्छी दृश्य मेलों के साथ देखने को मिलेंगी।
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